ज्ञानवापी मस्जिद विवाद:विश्वनाथ मंदिर से सटी मस्जिद को लेकर 213 साल पहले हुए दंगे, 1991 में दाखिल हुई पहली याचिका
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद एक बार फिर चर्चा में है। ताजा विवाद मस्जिद परिसर के अंदर मौजूद श्रृंगार गौरी की रोज पूजा-अर्चना की मांग को लेकर है। कोर्ट ने पूजा की मांग वाली याचिका के बाद मस्जिद में आर्कियोलॉजिकल सर्वे का आदेश दिया है।
कइयों का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर तुड़वाकर बनवाया था। मंदिर-मस्जिद का ये विवाद वर्षों पुराना है और इसे लेकर 213 साल पहले दंगे भी हुए थे। आजादी के बाद इस मुद्दे को लेकर कोई दंगा नहीं हुआ। ज्ञानवापी को हटाकर उसकी जमीन काशी विश्वनाथ मंदिर को सौंपने को लेकर दायर पहली याचिका अयोध्या में राम मंदिर मुद्दा गर्माने के बाद 1991 में दाखिल हुई थी।
हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास, मान्यताएं और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर इससे जुड़ा विवाद?
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद का ताजा विवाद?
ताजा विवाद ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की रोजाना पूजा-अर्चना को लेकर है। 18 अगस्त 2021 को 5 महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत मांगते हुए हुए कोर्ट पहुंची थीं। अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती है।
इन पांच याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व दिल्ली की राखी सिंह कर रही हैं, बाकी चार महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक बनारस की हैं।
26 अप्रैल 2022 को वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सत्यापन के लिए वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया था।
कोर्ट के आदेश के बावजूद मुस्लिम पक्ष के भारी विरोध की वजह से यहां 6 मई को शुरू हुआ 3 दिन के सर्वे का काम पूरा नहीं हो पाया। इस मामले में 10 मई को फिर से सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि इस सुनवाई में कोर्ट ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की नई तारीख देने वाला है।
मुस्लिम पक्ष सर्वे के लिए मस्जिद के अंदर जाने को गलत बता रहा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि शृंगार देवी के अस्तित्व के प्रमाण के लिए पूरे परिसर का सर्वे जरूरी है।
मान्यता: औरंगजेब ने मंदिर तोड़ ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई
मान्यता है कि 1669 में औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर का एक हिस्सा तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तान ने मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी।
कुछ मान्यताओं के अनुसार अकबर ने 1585 में नए मजहब दीन-ए-इलाही के तहत विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी।
मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है। इसी कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था।
शिवजी ने यहीं अपनी पत्नी पार्वती को ज्ञान दिया था, इसलिए इस जगह का नाम ज्ञानवापी या ज्ञान का कुआं पड़ा। किंवदंतियों, आम जनमानस की मान्यताओं में यह कुआं सीधे पौराणिक काल से जुड़ता है।
माना जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1699 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर कराया था।
माना जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1699 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर कराया था।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद:विश्वनाथ मंदिर से सटी मस्जिद को लेकर 213 साल पहले हुए दंगे, 1991 में दाखिल हुई पहली याचिका
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद एक बार फिर चर्चा में है। ताजा विवाद मस्जिद परिसर के अंदर मौजूद श्रृंगार गौरी की रोज पूजा-अर्चना की मांग को लेकर है। कोर्ट ने पूजा की मांग वाली याचिका के बाद मस्जिद में आर्कियोलॉजिकल सर्वे का आदेश दिया है।
कइयों का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद को औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर तुड़वाकर बनवाया था। मंदिर-मस्जिद का ये विवाद वर्षों पुराना है और इसे लेकर 213 साल पहले दंगे भी हुए थे। आजादी के बाद इस मुद्दे को लेकर कोई दंगा नहीं हुआ। ज्ञानवापी को हटाकर उसकी जमीन काशी विश्वनाथ मंदिर को सौंपने को लेकर दायर पहली याचिका अयोध्या में राम मंदिर मुद्दा गर्माने के बाद 1991 में दाखिल हुई थी।
हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास, मान्यताएं और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर इससे जुड़ा विवाद?
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद का ताजा विवाद?
ताजा विवाद ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं की रोजाना पूजा-अर्चना को लेकर है। 18 अगस्त 2021 को 5 महिलाएं ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश जी, हनुमान जी समेत परिसर में मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत मांगते हुए हुए कोर्ट पहुंची थीं। अभी यहां साल में एक बार ही पूजा होती है।
इन पांच याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व दिल्ली की राखी सिंह कर रही हैं, बाकी चार महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक बनारस की हैं।
26 अप्रैल 2022 को वाराणसी सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सत्यापन के लिए वीडियोग्राफी और सर्वे का आदेश दिया था।
कोर्ट के आदेश के बावजूद मुस्लिम पक्ष के भारी विरोध की वजह से यहां 6 मई को शुरू हुआ 3 दिन के सर्वे का काम पूरा नहीं हो पाया। इस मामले में 10 मई को फिर से सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि इस सुनवाई में कोर्ट ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की नई तारीख देने वाला है।
मुस्लिम पक्ष सर्वे के लिए मस्जिद के अंदर जाने को गलत बता रहा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि शृंगार देवी के अस्तित्व के प्रमाण के लिए पूरे परिसर का सर्वे जरूरी है।
मान्यता: औरंगजेब ने मंदिर तोड़ ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई
मान्यता है कि 1669 में औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर का एक हिस्सा तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तान ने मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी।
कुछ मान्यताओं के अनुसार अकबर ने 1585 में नए मजहब दीन-ए-इलाही के तहत विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी।
मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है। इसी कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था।
शिवजी ने यहीं अपनी पत्नी पार्वती को ज्ञान दिया था, इसलिए इस जगह का नाम ज्ञानवापी या ज्ञान का कुआं पड़ा। किंवदंतियों, आम जनमानस की मान्यताओं में यह कुआं सीधे पौराणिक काल से जुड़ता है।
माना जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1699 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर कराया था।
माना जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1699 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर कराया था।
मस्जिद का आर्किटेक्चर ताजमहल जैसा
ज्ञानवापी मस्जिद हिंदू और मुस्लिम आर्किटेक्चर का मिश्रण है। मस्जिद के गुंबद के नीचे मंदिर के स्ट्रक्चर जैसी दीवार नजर आती है।
माना जाता है कि ये विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है, जिसे औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद का प्रवेश द्वार भी ताजमहल की तरह ही बनाया गया है।
मस्जिद में तीन गुंबद हैं, जो मुगलकालीन छाप छोड़ते हैं। मस्जिद का मुख्य आकर्षण गंगा नदी के ऊपर की ओर उठी 71 मीटर ऊंची मीनारें हैं। ज्ञानवापी मस्जिद का एक टावर 1948 में आई बाढ़ के कारण ढह गया था।
ज्ञानवापी मंदिर के एक हिस्से की संरचना किसी मंदिर की संरचना जैसी लगती है
ज्ञानवापी मंदिर के एक हिस्से की संरचना किसी मंदिर की संरचना जैसी लगती है
मस्जिद को मंदिर के अवशेष पर बनाने को लेकर विवाद
मंदिर-मस्जिद को लेकर कई बार विवाद हुए हैं, लेकिन ये विवाद आजादी से पहले के हैं। 1809 में जब हिंदुओं ने विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच एक छोटा स्थल बनाने की कोशिश की थी, तब भीषण दंगे हुए थ�
ज्ञानवापी मस्जिद हिंदू और मुस्लिम आर्किटेक्चर का मिश्रण है। मस्जिद के गुंबद के नीचे मंदिर के स्ट्रक्चर जैसी दीवार नजर आती है।
माना जाता है कि ये विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है, जिसे औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद का प्रवेश द्वार भी ताजमहल की तरह ही बनाया गया है।
मस्जिद में तीन गुंबद हैं, जो मुगलकालीन छाप छोड़ते हैं। मस्जिद का मुख्य आकर्षण गंगा नदी के ऊपर की ओर उठी 71 मीटर ऊंची मीनारें हैं। ज्ञानवापी मस्जिद का एक टावर 1948 में आई बाढ़ के कारण ढह गया था।
ज्ञानवापी मंदिर के एक हिस्से की संरचना किसी मंदिर की संरचना जैसी लगती है
ज्ञानवापी मंदिर के एक हिस्से की संरचना किसी मंदिर की संरचना जैसी लगती है
मस्जिद को मंदिर के अवशेष पर बनाने को लेकर विवाद
मंदिर-मस्जिद को लेकर कई बार विवाद हुए हैं, लेकिन ये विवाद आजादी से पहले के हैं। 1809 में जब हिंदुओं ने विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के बीच एक छोटा स्थल बनाने की कोशिश की थी, तब भीषण दंगे हुए थ�
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